ABOUT US

भारतीय राजनैतिक परिदृश्य के साथ हमारे देश में जाति और धर्म का विषय प्रारम्भिक काल से जन चेतना का महत्त्वपूर्ण अंग रहा है। वंशानुगत राज परम्परा काल में रावी और सरस्वती नदियों के मध्य मैदानी भाग में आर्य जो हमारी सनातन संस्कृति के जनक, पोषक प्राकृत भाषा में क्ष और ख अक्षर के समान उच्चारण के और संरक्षक रहे वही खत्री जाति का मूल भौगोलिक जनक भूभाग है। संस्कृत और कारण तत्कालीन संस्कृत निष्ठ ‘क्षत्री’ शब्द ‘खत्री’ शब्द में परिवर्तित हो गया। यद्यपि प्राचीन काल में इस उच्चारण परम्परा का जातीय स्थिति में समान सम्मान था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार वंशानुगत शासन परम्परा काल में राजा विक्रमादित्य के काल तक जो स्वयं हमारी जाति के थे, इस शब्द को शासक-सैनिक अनुशासन कुल के समूह रूप में जाना जाता था। कालान्तर में विक्रमादित्य (खत्री) को अन्य जाति समूहों ने पराजित कर इस देश पर लम्बे काल तक शासन किया। ये अपने आपको राजपूत घोषित करते रहे और तदनन्तर क्षत्री सम्बोधन से समाज में स्वीकारे गए।

BOARD OF MEMBERS​

खत्री हितकारिणी सभा के सदस्य जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं जो अपने अनुभव और समर्पण से समुदाय की प्रगति में योगदान देते हैं। ये सदस्य सामाजिक कल्याण, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और युवा एवं महिला सशक्तिकरण के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निरंतर सक्रिय हैं।

MISSION & VISION

ACTIVITIES & EVENTS​​

Matrimonial

भारतीय राजनैतिक परिदृश्य के साथ हमारे देश में जाति और धर्म का विषय प्रारम्भिक काल से जन चेतना का महत्त्वपूर्ण अंग रहा है। वंशानुगत राज परम्परा काल में रावी और सरस्वती नदियों के मध्य मैदानी भाग में आर्य जो हमारी सनातन संस्कृति के जनक, पोषक प्राकृत भाषा में क्ष और ख अक्षर के समान उच्चारण के और संरक्षक रहे वही खत्री जाति का मूल भौगोलिक जनक भूभाग है। संस्कृत और कारण तत्कालीन संस्कृत निष्ठ ‘क्षत्री’ शब्द ‘खत्री’ शब्द में परिवर्तित हो गया। यद्यपि प्राचीन काल में इस उच्चारण परम्परा का जातीय स्थिति में समान सम्मान था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार वंशानुगत शासन परम्परा काल में राजा विक्रमादित्य के काल तक जो स्वयं हमारी जाति के थे, इस शब्द को शासक-सैनिक अनुशासन कुल के समूह रूप में जाना जाता था। कालान्तर में विक्रमादित्य (खत्री) को अन्य जाति समूहों ने पराजित कर इस देश पर लम्बे काल तक शासन किया। ये अपने आपको राजपूत घोषित करते रहे और तदनन्तर क्षत्री सम्बोधन से समाज में स्वीकारे गए।

Khatri Dharamshala

खत्री धर्मशाला, आतिथ्य और सेवा का प्रतीक है, जो खत्री समुदाय के सदस्यों और यात्रियों के लिए आरामदायक और किफायती आवास प्रदान करती है। यह एक ऐसा स्थान है जो सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक आयोजनों का केंद्र है और आने वाले सभी लोगों के बीच एकता और अपनापन की भावना को प्रोत्साहित करता है।

  • आयोजन स्थल: सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सामुदायिक बैठकों और उत्सवों के लिए बड़े हॉल और खुले स्थान।
  • भोजन सेवा: स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण में तैयार किए गए शुद्ध शाकाहारी भोजन की सुविधा।
  • तीर्थयात्रियों के लिए मदद: निकटवर्ती मंदिरों और पवित्र स्थलों की यात्रा के लिए सुविधाजनक स्थान और सहायता।
  • पुस्तकालय और अध्ययन कक्ष: आध्यात्मिकता, संस्कृति और इतिहास पर आधारित पुस्तकों के साथ एक शांत और ज्ञानवर्धक स्थान।

Gallery

“खत्री हितकारिणी सभा की नीतियाँ समाज के समग्र विकास, एकता, और भलाई को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं। इन नीतियों का उद्देश्य खत्री समाज को एक मजबूत और समर्थ समुदाय बनाना है, जिसमें हर सदस्य का जीवन सुखमय और समृद्ध हो।”

निवेदन (खत्री हितकारिणी सभा)